गुरुवार, 6 सितंबर 2007

Aarumb

नमस्कार, पहले मैं अपना परिचय देना चाहती हूँ। में एक २१ वर्ष कि लड़की हूँ और मेरा जन्म अमरीका में हुआ था। लेकिन, में हर साल अपने माँ और बहन के साथ हिंदुस्तान जाया करती थी। वहाँ गुर्गओं में मेरी नानी और नाना रहते है। मेरा भाई परिवार के साथ दिल्ली में अलकनंदा में है।
मेरा परिचय कम उमर में ही हिंदी फिल्मों और भारतीय समाज से हुआ था। मेरी माँ हमेशा चाहती थी कि में हिंदी सीखू, इस्सी लिए मे आज इस क्लास में खूब परिश्रम करके अपनी हिंदी बोलने, लिखने, पढने जादा बहतर बनाऊंगी।
यह था मेरा परिचय अग्ले पोस्ट मे मैं अप्ने विचारो के बारे मे मैं बात करूंगी। अगर आप मे से किस्सी को कुछ पूछ ना हो तो मैं उस पे लिखूँगी।
अभी के लिए मेरा आदर पूर्वक नमस्कार।

21 टिप्‍पणियां:

विजय ठाकुर ने कहा…

सबसे पहले ब्लाग शुरु करने पर आपको बधाई, क्लास में आपने ही सबसे पहले इस दिशा में कदम उठाया है, आशा है जल्द ही आपके अन्य सहपाठी (classmates) भी अपने-अपने ब्लाग के साथ नज़र इंटरनेट पर आएँगे।

शैलेश भारतवासी ने कहा…

प्रिया जी,

हिन्दी ब्लॉग-जगत में आपका स्वागत है। यह हमारे लिए बहुत खुशी की बात है कि विजय ठाकुर जी की प्रेरणा से आप हमारे सम्पर्क (Contact) में आ पा रही हैं। यानी अब आपलोगों की बातें हम तक और हमारी बातें आपलोगों तक पहुंचेंगी। तमाम हिन्दी-प्रेमियों को सूचनार्थ (For kind Information) आपके इस ब्लॉग का लिंक हिन्द-युग्म पर जोड़ रहा हूँ।

Shastri JC Philip ने कहा…

हिन्दी में एक ब्लोग शुरू करने पर आपको बधाई.

हिन्दी से संबंधित लेखों एवं वीडियो के लिये www.Sarathi.info तथा www.IICET.Com पधारिये.

-- शास्त्री जे सी फिलिप

मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!

विपुल जैन ने कहा…

चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है, लेख का शीर्षक अंग्रेज़ी में क्यूँ

www.chitthajagat.in

सुनीता शानू ने कहा…

हिन्दी ब्लॉग-जगत में आपका स्वागत है...आप अपने चिट्ठे का शिर्षक भी हिन्दी में लिखिये हमे खुशी होगी...

शानू

ePandit ने कहा…

नमस्कार प्रिया, हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है। विजय जी बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने आपको ब्लॉग विधा को इस कार्य के लिए प्रयोग करने हेतु प्रेरित किया।

हिन्दी के अन्य चिट्ठों (हम लोग ब्लॉग को चिट्ठा बोलते हैं) के बारे में जानने के लिए नारद पर जाएँ।

हिन्दी टाइपिंग संबंधी सभी जानकारी सर्वज्ञ विकी तथा ई-पण्डित पर मौजूद है। कोई भी समस्या या प्रश्न हो तो परिचर्चा हिन्दी फोरम पर पूछें।

आशा है आप अपने अन्य सहपाठियों को भी हिन्दी ब्लॉग शुरु करने हेतु प्रेरित करेंगी।

Sanjeet Tripathi ने कहा…

हैल्लो और नमस्कार प्रिया जी!!
कैसी हैं आप।

यह तो सचमुच एक अच्छी बात है कि आप अमेरिका में रहकर भी हिन्दी से जुड़े रहना चाहती हैं।
आपका यह हिन्दी ब्लॉग देखकर खुशी हुई!!

शुभकामनाएं!!

Sanjay Karere ने कहा…

Bhadi क्‍यों Badi क्‍यों नहीं? या फिर सीधे लिखें... बड़ी सोच ... ज्‍यादा अच्‍छा लगेगा.
और इस्‍सी या किस्‍सी क्‍यों... इसी या किसी क्‍यों नहीं? प्रयत्‍न करें कि मानक शब्‍दावली का प्रयोग ही हो, आपके हित में रहेगा.
चिट्ठाकारों की दुनिया में आपका स्‍वागत है. फिरंगियों के देश में रहकर हिंदी सीखने की यह ललक स्‍वागत योग्‍य है. शायद सुकरात या अरस्‍तु ठीक से याद नहीं पर इनमें से किसी ने कहा था, जो कौम अपनी मातृभाषा को छोड़ देती है उसे गुलामी करना ही होती है. तो हिंदी से जुड़े रहिए अपने लोगों से भी जुड़ने का अवसर मिलेगा. मेरी वेबसाइट हिंदी के स्‍थानीय समाचारों को इंटरनेट पर लाने का काम कर रही है, चाहें तो कभी पधारें आपका स्‍वागत है. पता यह रहा...
www.dailyhindinews.com

Prabhakar Pandey ने कहा…

चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है । अभिनन्दन ।

बेनामी ने कहा…

विजय जी
धन्यवाद और बधाई दोनों ।
हिन्दी की सेवा सबसे अच्छा काम है आप जिस रूप में कर रहे हैं सतत सराहना का पात्र है।
साधुवाद

उन्मुक्त ने कहा…

अरे वाह स्वागत है।

Sagar Chand Nahar ने कहा…

प्रियाजी
आपका हिन्दी चिट्ठा जगत में हार्दिक स्वागत है।
॥दस्तक॥
गीतों की महफिल

पंकज बेंगाणी ने कहा…

स्वागत है प्रिया.


किसी भी सहायता के ऑनलाइन एनिमेटेड ट्युटोरियल यहाँ उपलब्ध है.

[url=http://www.tarakash.com]Tarakash.com[/url]

नीरज दीवान ने कहा…

सुस्वागतम्
बड़ी सोच (Badee Soch)ये शीर्षक मुझे पसंद आया. हिन्दी में बड़ा सोचिए और फटाफट लिखिए.

ब्लॉगिंग करते रहिए औऱ अमेरिका में हिन्दी भाषा-भाषियों के पठन-पाठन की जानकारी भी दीजिए. शेष शुभ और मेरी शुभकामनाएं.

Reetesh Gupta ने कहा…

स्वागत है आपका...आगे भी आपके विचारों को जानने का मोका मिलेगा...ऎसी हमारी शुभकामना है ....बधाई

Unknown ने कहा…

It's great to know about your Hindi skills. It is even more important in the situation in India where English is the main conversation language amonst the rich and elite class. It's a national shame and this trend is more in Northern India. Keep up the log and your love for Hindi and India.
Sorry for writing in English as I can not type in Hindi here; though my mother tongue is Hindi.

नवीन तिवारी " विद्रोही " Naveen Tewari ने कहा…

मैं जानता हूं क‍ि हिन्‍दी सब कि प्‍यारी है। शायद भारत के उन नेताओं को भी एहसास हो जाए कि हिन्‍दी में बात करना सम्‍मान क‍ि बात है। प्रिया जी हिन्‍दी में लिख्‍ा कर आप हम सब की प्रिय हो गय‍ी हैं।
नवीन तिवारी

Bhola Prasad Bhagat ने कहा…

प्रिया जी,
अमेरिका के अंग्रेजीमय वातावरण में रहकर भी आपने
अथक प्रयास से आपने को भरत माँ की गौरवमयी संस्कृति और उसकी वाणी हिन्दी से जोङने का जो कार्य किया है,वह सचमुच में अत्यन्त सराहनीय एवं अनुरणीय है।
मैं हृदय से आपकी उन्नत्ति की शुभकामना करता हूँ।
भोला भगत,न्यूजर्सी

Kavi Kulwant ने कहा…

स्वागत है प्रिया आपका..जो भी लिखा, प्यारा लिखा, पसंद है..लिखा आपने यही बड़ी बात है..
कवि कुलवंत
http://kavikulwant.blogspoyt.com
www.PoetryPoem.com/kavikulwant

Nomad Films ने कहा…

namshkar, main apni khushi ka izhar nahi kar pa raha hun ki jo cheez main kafi samay se apne desh me karna chahta tha wo tum ne shuru kar diya hai, jis tarah se hum Hindi se door hote ja rahe hain is tarah ka prayas hamari nayi pidhi ke liye ek bahot hi badhiya madhyam banega, meri taraf se khhoobsari badhai aur jab bhi kisi tarah ki madad ki zarurat ho khul ke kaho, main media industry se hun apni taqat ke mutabiq tumahare is prayas me tumhari madad zarur karunga.

Junaid Memon
NOMAD FILMS

Shambhu Choudhary ने कहा…

मेरी छोटी सी प्रिया बिटीया को भारत से बहुत सारा स्नेह, आशीर्वाद और बहुत सारा प्यार! आपने जो प्रयास किया इसके लिये हम सबका हृदय गद-गद हो गया। भारत में तो हिन्दी की दुर्दशा देखकर कभी-कभी रोना सा आ जाता है, मेरी इन पंक्तियों को देखो :
बेनु ( मेरी छोटी बेटी) ने आकर जब ये पुछा;
पापा मुझे बताओ,
बीस (20) का मतलब क्या होता है,
इंगलिस (English) में समझाओ।
पास में बैठी मम्मी ने धीरे से गुर्रायी,
टू, जीरो, टूण्टी होता है, उसको यूँ समझायी।
आँख दिखाकर मुझ से पुछी;
ये हिन्दी कहाँ से आयी?
परिक्षा में नम्बर क्या तुम दोगे
मुझको यह समझाओ।

भारत के प्रयः सभी घरों की कम और बेस यही हालात हो चुकें हैँ, आपके इस प्रयास की जितनी भी सहराना, प्रसंसा,की जाय वह कम है। -शम्भु चौधरी, सहयोगी संपादक"समाज विकास" कोलकाता700106. www.samajvikas.in